Paush month: पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है उसको पृथ्वी की उर्वरता वसुदेव कुटुंबकम से जुड़ा हुआ पाते हैं यहां कट्टरपंथी लोग भी इसे बहुत ज्यादा महत्व देते हैं..
यह दशमी तिथि शुक्ल और कृष्ण पक्ष दोनों जैसे ही इसका संबंध है जोकि अपराजिता देवी से संबंधित है..
तिषया नक्षत्र भी कहते हैं जिसमें 3 तारे तिकोना बाण का शीर्ष नोक का तारा इससे ऋग्वेद में शुभ या मांगलिक तारा कहा जाता है..
पौष मास (Paush Month)
सुंदर पुष्प रूप सौंदर्य सुगंध कोमलता ताजगी प्रसन्नता आदि रूप में समाज में खुशियां फैलाता है गुरु बृहस्पति देवता है इसके गुरु का गुण ज्यादा इसमें दिखाई देता है माता शिशु के रूप में यह आस्थावान राजनीति और कूटनीति के लक्षण अगर होते भी हैं तो गुरु बृहस्पति के कारण से यह हट जाते हैं..
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(16 दिसंबर से 14 जनवरी)
पुष्य नक्षत्र में सभी कार्य शुभ क्यों होते हैं..?
आइए जानते हैं।
कर्क राशि जिसका राशि पति चंद्रमा है वहीं पर नक्षत्र पति शनि है और देवता बृहस्पति गुरु है..
चंद्रमा# प्रजा का कारक, संवेदी भावुक
शनि #कमजोर वर्ग या गरीबों का कारक, संतुलन स्थिरता
गुरु #सदाचार,आशावान,उत्साह वृद्धि, धर्म, उच्च मनोबल
वैसे तो चंद्र और शनि का साथ में निराशा अवसाद के रूप में होता है परंतु गुरु यहां पर होकर उत्साही परिश्रमी और मनोबल प्रदान करते हैं..
अगर किसी कुंडली में शनि गुरु और चंद्र की योग दृष्टि भी हो तो वह भी पुष्य जैसी ही शुभ होती है..
पौष मास में विशेष रुप से सूर्य गायत्री की आराधना की जाती है।
यह आराधना पुष्य नक्षत्र जैसी ही होती है.. यहां सूर्य केतु के नक्षत्र मूल में होता है जो किसी भी के जीवन में जड़ सहित परेशानियां को ठीक करने में सहायक होता है..
वह परेशानियां रोग चिकित्सा आदि से संबंधित होती हैं किसी पेड़ पौधे की जड़ या जड़ी बूटियों का और परिवार को आपस में बांधकर रखने के लिए और वंशानुगत जो भी परेशानियां हैं वही इस किसी भी तरह के के रोग जो ठीक नहीं हो रहे हो जीवाणु बैक्टीरिया आदि का संबंध भी मूल नक्षत्र से है।
यह नियंत्रण का कार्य करते हैं वही गंड मूल नक्षत्र में पैदा हुए बालकों को दोष मिटाने के लिए कहां पर सूर्य की अराधना विशेष रुप से की जाती है यहां सूर्य विशेष रूप से चंद्र के समान पोषण का कार्य करते हैं..
पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में सूर्य किसी भी तरह की राजनीतिक या किसी तरह की हार को जीत मै बदल सकते है.. दंड स्वामी की तरह होते हैं… आत्मविश्वास में वृद्धि करते हैं
उत्तरा अषाढ़ा नक्षत्र में नेतृत्व के गुण व क्षमता विकसित करते हैं पुराने अधूरे काम या पूर्वजों के काम भी पूरा करने की क्षमता देते हैं..
इसलिए खास होता है…..
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